जानवी ऑफिस से आ किचेन में अरमान के लिए डिनर बना रही थी,,,,डिनर में डाल,रोटी और पनीर की सब्जी थी जो उसे बनाना था क्युकी रात को अरमान येेही खाता था,,,किचेन में कोई नही था सिर्फ जानवी थी तभी जानवी को कुछ याद आने लगता है,,,
फ्लैशबैक
अरमान और उसकी फैमिली को गए 2 दिन हो चुके थे लेकिन उनके तरफ से शादी को लेकर कोई खबर नहीं आए थी,,,रिया की बाते श्लोक के साथ होती थी और जब भी रिया पूछती तो श्लोक कहता की अरमान भाई मंजूरी दे दी है लेकिन पता नहीं दादा जी और भाई के बीच क्या बाते हुई है तब से कोई कुछ बोल ही नहीं रहा है,,,मैं जब भी पूछता हु तो दादा जी कहते है की अब हमारी जिंदगी भाई के हाथ में है।।।।
अचानक दोपहर के समय सैलेष जी को रणविजय जी का कॉल आता है और वो उनको मिलने के लिए अपने ऑफिस बुलाते है,,, सैलेष जी जब रणविजय जी से मिले वापस लौट ते है तो उनका चेहरा लटका हुआ था और वो काफी परेशान लग रहे थे।।।।रात के डिनर के बाद सेलेश जी और उनकी पत्नी सबके सोने के बाद जानवी के रूम में जाते है,,,जानवी को अभी अपनी पढ़ाई कर रही थी अपने मामा मामी को इतने रात अपने कमरे में देख थोड़ा कन्फ्यूज होती है और खरे होते हुए कहती है,,,मामा जी मामी जी आपलोग यहां।।।।
दोनो पति पत्नी रूम के अंदर जा जानवी के सामने खाते होते है दोनो के चहरे पे गुस्सा साफ झलक रहा था,,,क्युकी उन्हे बिलकुल मंजूर नहीं था की जानवी उनकी बेटी से आगे निकले और वो जानते थे की पूरी रघुवंशी अंपायर का मालिक अरमान है और उसी के दादा जी ने उनके सामने डील की रखी है की रघुवंशी खानदान के दोनो बेटे का शादी एक साथ होगा नही तो किसी का भी नही होगा,,,इसलिए वो जानवी को बोलने आए थे की वो अरमान से शादी कर ले।।।।।।।
जानवी उन दोनो को बाते सुन थोरी देर के लिए जम सी जाती है फिर अपने होश में आते हुए कहती है,,,लेकिन मामा जी मैं कैसे शादी कर सकती हु उनसे वो तो कितने बड़े है मुझेसे और मैं सिर्फ उनकी एक एंप्लॉयर हु,,,,
मामी थोड़ा गुस्से में कहती है,,,ये बात तो तुझे अपना ये हुस्न का जादू चलाने से पहले सोचना चाइए था ना अब फस गया वो अरमान तुम्हे जाल में इसी लिए तो अपने दादा जी से कह के रिश्ता भेजा है तेरे लिए,,,और लड़की सुन तुझे अरमान से शादी करनी ही होगी,,,,,,,और जैसे अभी नौकर है ना इस घर की उसी तरह शादी में बाद भी तू मेरी बेटी की और उस घर की नौकर ही बन कर रहेगी,,,,समझी कभी भी मेरी बेटी से आगे तू निकल ही नही सकती,,,,इतना बोल दोनो चले जाते है,,,
दोनो को जाने के बाद जानवी अपने मन में कहती है क्या सच में अरमान सर मुझे पसंद करते है और उन्होंने ही दादा जी को बोल रिश्ता भेजा है,,,,अभी उसके चेहरे पे एक शर्म की लाली थी,,,क्युकी अरमान जैसा इंसान अगर किसी को पसंद करे तो ये बहुत बड़ी बात ही होगी,,,,,,
फ्लैशबैक एंड
कुकर की सिटी के साथ जानवी अपने प्रेजेंट में लौटती है और अपने मन में बोलती है,,,आपने सही कहा था मामी मैं नौकर हु और नौकर ही रहूंगी,,,,अपने चेहरे पे एक फीकी मुस्कान लिए अपने हाथो से आंसू पोंछ वो जल्दी जल्दी अपना काम निपटा ती है और खाना प्लेट में सर्व कर किचेन से निकल रूम में आती है और अरमान के सामने खाने की प्लेट रख चुप चाप फिर से नीचे किचेन में आती है और अपना खाना ले अकेली डाइनिंग टेबल पे बैठ जाती है,,,उसकी आंखे अभी नाम थी,,,क्युकी वो शादी के पहले भी अकेली ही खाती थी और शादी के बाद भी उसके नसीब में यही था बस अकेलापन।।।।वो जानती थी अरमान उस से रोज डिनर इसलिए ही बनवाता था ताकि वो परिवार के साथ जाड़ा टाइम स्पेंड ना पाए,,,,जानवी अपना डिनर खत्म कर रूम में आती है तब तक अरमान बेड पे सो चुका था,,,रूम की सारी लाइट ऑफ थी,,,,
जानवी अपना कॉलेज बैग और लैपटॉप और ऑफिस के फाइल लेकर बालकनी में चली जाती है क्युकी उसे पता था अगर वो लाइट ऑन की तो फिर से अरमान से वही जिल्लत भरी बाते सुन ने को मिलेगी,,,,,जानवी बालकनी में सोफे पे बैठ पहले टाइम देखती है तो रात के 12 बजने वाले थे,,,,वो कभी अपने कॉलेज प्रोजेक्ट को देखती जो उसे कल सुबह ही सबमिट करने थे तो कभी इस फाइल को जो अरमान ने कंप्लीट करने को दिए थे,,,,
कुछ सोच वो अपना कॉलेज के प्रोजेक्ट पूरा करने में लग जाति है,,,क्युकी अगर वो प्रोजेक्ट कल सबमिट नही करती तो उसके मार्क्स तो कम आते ही साथ ही साथ कॉलेज का स्कॉलरशिप भी नही मिलता और उसके फैशन डिजाइनर का सपना कभी पूरा नहीं होता।।।।क्युकी उतने पैसे उसके पास थे नही की वो खुद से फीस भर पाए।।।।।
दूसरी तरफ अरमान jhanvi के रूम से बाहर निकलते ही सीधा हो लेट जाता है और लेकिन उसकी आंखे बन्द ही होती है,,,तभी वो कुछ सोचता है,,
फ्लैशबैक
दादू आप जानते हो ये कभी नही हो सकता,,,मुझे नफरत है शादी के नाम से भी,,,आपको बहु चाइए तो श्लोक की शादी हम करवा ही रहे है मिल जायेगी आपको बहु।।।।।अरमान थोड़ा गुस्सा में चिल्लाते हुए ये बात अपने सामने बैठे रणविजय जी को कह रहा था।।।।
अरमान की बाते सुन रणविजय जी अपने शांत ही आवाज में कहते है,,,सोच लो अरमान,,,तुम जानते हो की अगर ये शादी ना हुई तो श्लोक टूट जायेगा और जो तुमको बर्दास्त नही होगा,,,,और अगर तुम शादी से इंकार करोगे तो ये शादी कभी हो ही नही पाएगी,,,, श्लोक की खुशी अब तुम्हारे हाथो में है।।।।।
अरमान थोड़ा गुस्से में लेकिन धीरे आवाज में ही कहता है मतलब दादू आप मुझसे डील कर रहे है,,,लेकिन आप समझ क्यू नही रहे शादी कोई बिजनेस नही जो डील पे टीक जाए,,,,,,और क्या जानवी राजी होगी शादी के लिए,,,,आप उसकी और मेरी उमर नही देख पा रहे,,,मैं कितना बड़ा हू उस से,,,
रणविजय जी थोरी ऊंची आवाज में कहते है,,,अगर तुझे श्लोक की खुशी चाहिए तो मेरी शर्त बोलो या डील तुम्हें माननी पड़ेगी।।।।।और रही बात उस लड़की की तो अगर वो ना बोल दे तो मैं तुम्हे फोर्स नही करूंगा शादी के लिए,,,इतना बोल वो रूम से बाहर चले जाते है अरमान अपनी आंखे बंद कर काउच पे अपना सिर टेका देता है।।।
फ्लैशबैक एंड
तभी अरमान एकदम से अपनी आंखे खोल बेड पे बैठ जाता है और अपनी नजरे बालकनी के तरफ करता है जहा ग्लास डोर के कारण जानवी उसे दिख रही थी,,,,जिसे देख वो कहता है,,,क्यू किया जानवी तुमने ऐसा क्यों किया,,,,मेरे मना करने के बाद भी तुमने शादी के लिए हा क्यू की,,,अगर तुम मेरी बात मान शादी को माना कर देती तो शायद मैं कभी तुम से इतना नफरत करता ही नही जितना अभी करता हु,,,लेकिन तुम देखती जाओ,,,कैसे तुम्हारी जिंदगी मैं नर्क बनाता हु,,,ये वादा है अरमान राजवंश का।।।।।।
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