दोनो बहने बालकनी में खरे हो नीचे श्लोक और उसकी फैमिली को देख रही थी,,,,और अरमान के निकलते ही दोनो को पता चला की श्लोक का बड़ा भाई यही है जिसपर ही शादी का सारा डिसीजन टिका हुआ था,,,,

थोरी देर में ही सभी घर के हॉल एरिया में बैठे थे,,,,अरमान की नजरे पूरी घर के चारो तरफ घूम रही थी वही श्लोक की नजरे तो बस रिया को तलाश रही थी,,,,तभी उसकी नजर सामने के रूम से निकलते रिया पे जाती है जिसके साथ जानवी थी,,,,रिया ने उसे बहुत बार जानवी के बारे में बताया था लेकिन कभी मिले थे नही दोनो।।।।

   जानवी अपने साथ रिया को लेकर जैसे ही वहा आए अरमान और उसकी नजरे एक दूसरे से मिल गई,,,जिसे जानवी ने जल्दी ही झुका लिया,,,लेकिन अरमान थोड़ा कन्फ्यूजन सा फेस बना कहता है,,,ms जानवी आप यहां?।।।।।जानवी अपने दोनो हाथो को एक दूसरे में फसाते हुए कहती है सर वो ये मेरे मामा का घर है और ये मेरी दी है मैं यही रहती हु,,,,,

जानवी के जवाब से अरमान का कन्फ्यूजन दूर होता है लेकिन श्लोक और रणविजय जी दोनो एक साथ अरमान को देखने लगते है जैसे पूछ रहे हो को वो इस लड़की को कैसे जनता है,,,,तभी जानवी सब समझते हुए कहती है,,,, बड़े सर वो मैं इनके ही ऑफिस में काम करती PA के पोस्ट पे।।।।इतना बोल वो चाय  और नाश्ता का बंदोबस्त करने किचेन में चली जाती है और बाहर सभी अपनी अपनी बाते करने लगते है,,,अरमान को रिया में कोई खोट नजर नहीं आती,,,,फिर भी वो अभी चुप ही रहता है,,,लेकिन दादा जी का ध्यान बार बार बस जानवी पे ही जा रहा था क्यू ये तो वही जाने,,,,

Flashback end 

एक जोर का हॉर्न के कारण जानवी अपने सेंस में आती है तो पाती है की वो विला के सामने तक आ चुकी है जब वो पलट के देखती है तो अरमान की कार खड़ी थी,,,वो पीछे का डोर खोल जल्दी कार में बैठ जाती है और एक लंबी सांस लेती है क्युकी कार में ac था और ज्यादा चलने के कारण जानवी को काफी गर्मी लग रही थी।।।

    जानवी को सुकून से बैठते देख अरमान थोड़ा तंज कसते हुए कहता है,,,,,काफी सुकून मिला ना तुम्हे इतनी महंगी कार में बैठते हुए,,,इसी के लिए तो इतना नाटक कर रही हो,,,अब अपना  favourite काम करने के लिए चलो अब सुरु हो जाओ एक अच्छी बहु बनने का नाटक करने के लिए।।।।इतना बोल वो एक ऐसा लुक देता है जैसे उसे जानवी को देख के ही घिन आ रही हो।।।।

कुछ ही सेकंड में उनकी कार विला के अंदर पहुंचती है और दोनो एक साथ घर के अंदर जाते है,,,दोनो को हॉल में ही सभी बैठे मिलते है,,,दादा जी और श्लोक दोनो सोफे पे बैठे कुछ डिस्कस कर रहे थे तभी रिया अपने हाथो में चाय का ट्रे ले किचन से बाहर आती है।।।।दादा जी नजर जैसे ही अरमान और जानवी पे जाती है,,,दादा जी उन दोनो को भी वही बैठा लेते है और दोनो उनकी बात मान बैठ जाते है।।।

    रिया एक चाय का कप अरमान के तरफ बढ़ा देती है जिसे अरमान चुप चाप ले लेता है फिर वो जानवी को चाय देती है वो भी चुप चाप ले लेती है,,,हॉल में अभी काफी खामोशी थी,,,और इस खामोशी को तोड़ते हुए दादा जी जानवी को देखते हुए कहते है,,,जानवी बेटा तुम्हे कोई तकलीफ तो नही हो रही है ना,,,और अरमान ठीक से रह तो रहा है ना तुम्हारे साथ,,,,दादा जी के सवाल जानवी के होश उराने को काफी थे,,,अरमान की तिरछी नजरों से जानवी को ही देख रहा था वो भी जानवी का जवाब जान ना चाहता था,,,उसे इतना तो पता था की जानवी अपना मुंह नही खोलेगी।।।।

जानवी चाय का कप टेबल पे रखते हुए कहती है,,,नही दादा जी मुझे क्या तकलीफ होगा और बड़ी हिम्मत कर अरमान के तरफ देख कहती है,,,ये भी बहुत अच्छे है,,,,कुछ तकलीफ नहीं है मुझे यहां,,,,,तभी अरमान खरा होते हुए कहता है,,,और कुछ पूछना है या मैं अपनी बीवी को रूम में ले जाऊ,,,,फिर एक नजर जानवी को देख कहता है,,,चलो जान रूम में कुछ काम है,,,,और वो अपने कमरे के तरफ चला जाता है।।।।को 2nd फ्लोर पे था,,,

अरमान जो बोल के गया था उस करण जानवी को काफी शर्म आ रही थी,,,तभी वो सारे झूठे कप उठा किचेन में चली जाती है और रिया भी उसके पीछे पीछे ही किचेन तक आती है।।।

जानवी सारे कप बेसिन में डाल जैसे ही पलटती है रिया एक शरारती मुस्कान के साथ उसे ही देख रही थी,,,,जानवी अपने भौंहे उचका पूछती है,,,,आप ऐसे क्यू हस रहे हो,,,तभी रिया उसके पास आ कहती है,,,मुझे तो पता ही नही था की अरमान भाई इतने रोमांटिक भी हो सकते है,,,रिया की बाते सुन जानवी थोड़ा सकपका जाति है,,,और अपनी नजरे नीचे कर कहती है क्या दी आप भी कुछ भी बोलती हो,,,चलो हटो मुझे जाना है,,,तभी रिया जोर से हस्ते हुए कहती है,,,, अरे हा हा जाओ जाओ अरमान भाई इंतजार कर रहे होंगे,,,,जानवी अपना सर झुका चुप चाप वहा से निकल अपने रूम में आती है।।।।

रूम में आते ही देखती है की अरमान फ्रेश हो सोफे पे बैठा लैपटॉप ले अपना काम कर रहा था,,,जानवी चुप चाप वही रूम में एक साइड परा अपना सूटकेस खोलती है और कपरे ले बाथरूम में चली जाती है,,,थोरी देर बाद फ्रेश हो बाहर आती है,,,,,,उसने अभी एक ढीला कुर्ती के साथ प्लाजो पहना था,,,,,,,अरमान एक नजर उसे देख कहता है,,,,मुझे भूख लगी है,,,जल्दी जाओ और डिनर बना के लाओ,,,,जानवी एक नजर घड़ी के तरफ देखती है रात के 9 बजे थे,,,,वो चुप चाप वहा से निकल नीचे किचेन के तरफ जाती है तो देखती है सभी डाइनिंग टेबल पे बैठे डिनर कर रहे थे,,,रिया भी उन्ही के साथ थी,,,,

जानवी एक नजर सभी को देख थोड़ा मुस्कुराते हुए किचेन के अंदर जाति है और अरमान और अपने लिए डिनर प्रिपेयर करने लगती है,,, ये अरमान का ही ऑर्डर था की उसका खाना जानवी अपने हाथो से ही बनाएगी और रोज ऑफिस से आते ही जानवी अरमान के लिए डिनर बनाती थी और बाकी सभी का घर का कुक बनाता था।।।।

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