मुंबई के एक पौष इलाके में 75 मंजिला गगनचुंबी इमारत,,जिसके front में गोल्डन से बारे बरे अक्षरों में लिखा हुआ था,,,,"the raghuvansi empire",,,, ये में ऑफिस था लेकिन इसके जिसे 100 अंपायर को अकेले चलता था अरमान रघुवंशी,,,,कोई भी ऐसा फील्ड नही था कहा पे इनका राज ना हो,,,इंडिया के साथ साथ विदेश में भी इनका राज था,,,,एक मीटिंग के लिए लोग महीनो पहले अपॉइंटमेंट लेते थे जा के उनकी मुलाकात होती थी अरमान से।।।।।
ऑफिस के सबसे टॉप फ्लोर के केबिन में चेयर में बैठा अरमान कुछ फाइल चेक कर रहा था,,,उसके आंखो पे चस्मा था जो उसे और भी hansome बना रहा था,,,तभी वो फाइल बंद कर अपने सामने खरी लड़की के मुंह पे फेकता है और जोर से चिल्लाते हुए कहता है,,,,mrs jaanvi अरमान रघुवंशी,,,, शायद आपको ये टाइटल मिल जाने के बाद काम करने में मन नहीं लग रहा है,,,लेकिन एक बात कान खोल के सुन लो जबरदस्ती तो तुमने ये टाइटल हासिल कर लिया लेकिन उस औकात तक पहुंचना तुम्हारी औकात नही है,,,,तुम जैसी कैरेक्टरलेस लड़की किसी की भी बीवी बन ने के लायक नही हो तो उठाओ फाइल और जा के अपना काम पूरा करो चाहे कितनी भी रात क्यू ना हो मुझे ये प्रोजेक्ट आज ही कंप्लीट चाहिए,,,,अब दफा हो यह से,,,,इतना बोल वो अपना फेस लैपटॉप के सामने कर उसपे कुछ काम करने लगता है।।।।।।।
।उसके सामने खड़ी जानवी अपने आंखो से बहते आंसू पोछती है और और झुक के फाइल से गिरे सारा पेपर्स एक एक उठा केबिन से बाहर निकल अपने केबिन में आती है और तुरंत अपने केबिन का डोर लॉक कर ओहि फर्श पे बैठ जोर जोर से रोने लगती है,,,एक सिंपल रेड कुर्ती और रेड लैगिंस पहने जानवी के हाथो की महंगी और माथे का सिंदूर ये बता रहा था की उसकी अभी नई शादी हुई है,,,,गोल गले के रेड कुर्ती जिसने छोटे छोटे फूलो की कढ़ाई की हुई थी,,,,गले से झांकता उसका मंगलसूत्र और हाथो में पहनी चुरा उसको नई दुल्हन का लुक दे रही थी,,,लंबे बालों को पीछे बस एक क्लच से समेटा हुआ था,,,
केबिन के दरवाजे से सट के बैठते हुए जानवी अपने घुटने के बीच अपना सर रख जोर जोर से रोए जा रही थी,,,,उसके दिमाग में बस अरमान की कही करवी बाते ही घूम रही थी,,, जो वो पिछले दिन दिन से सुन रही थी,,,क्युकी उसके शादी को दो दिन हो चुके थे,,,,रोते रोते जानवी की जब सांसे उखरने लगती है तब वो खुद को संभाल दरवाजे पे हाथ रख धीरे धीरे उठती है और अपने डेस्क के पास आ पानी का ग्लास उठा पानी पीती है,,,,और फिर खुद को थोड़ा शांत कर चेयर पे बैठ फाइल खोल के साइड रहती है और लैपटॉप में कुछ टाइप करने लगती है,,,
केबिन में बैठा अरमान लैपटॉप पे टाइप करते करते रुक जाता है और अपनी आंखे बंद कर सर को सीट से टेकता है और कुछ सोचने लगता है।।।
(Indono ki shadi kaise hue aur kya majburi thi ye ab mai flashback ke jariye bich bich me bataungi)
Flashback
Raghuvansi villa
"दादू प्लीज ना मान जाओ,,, वो सच में बहुत अच्छी लगती है,,,और मुझे बहुत पसंद है,,,अगर मैं शादी करूंगा तो उसी से वरना नही करूंगा,,,आप एक बार उसके फैमिली से तो मिलके देखो,,, हा वो हमारे जितना रिच नही है लेकिन सच में रिया बहुत अच्छी है,,,आप एक बार उस से मिल के तो देखो दादू"
श्लोक इतना बोल सोफे पे बैठे रणविजय रघुवंशी के सामने घुटने पे बैठ अपने दोनो हाथ से उनका साथ पकर लेता है।।।।।।रणविजय जी थोड़ा रुक कहते है,, अपने दमदार आवाज में कहते है,, श्लोक अगर आपको वो लड़की इतना पसंद है तो ठीक है,,,लेकिन पहले मुझे आपके बरे भाई अरमान से बात करनी होगी,,,आप तो जानते ही है ना की उसके लिए लड़किया सिर्फ पैसे की भुकी होती है,,,और अगर सच में ऐसी लड़की हमारे घर में आ गई तो हमारा घर बर्बाद हो जाएगा इसलिए हम इतना जल्दी कोई डिसीजन नही ले सकते।।।।।।।।।।
श्लोक एक लंबी सांस लेते हुए कहता है,,, दादु मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हु,,,,मैंने कहा तक रिया को जाना है वो ऐसी नही है,,,उसे तो पता भी नही मेरी पूरी आइडेंटिटी क्या है,,,फिर भी प्यार करती है मुझसे ,,,,बाकी आप जैसा चाहो मैं वही करूंगा,,,,भाई और आपका डिसीजन ही आखिरी होगा मेरे लिए,,,और ये बात मैंने उसे बता दिया है,,,,
इतना बोल श्लोक रणविजय जी के रूम के बाहर चला जाता है और उसके जाते ही रणविजय जी फोन कर अरमान को अपने रूम में बुलाते है,,,रात का टाइम था तो अरमान अपने रूम में ही था,,,रणविजय जी के बुलाते ही वो दौड़ते हुए उनके रूम में आता है।।।।
थोरी ही देर में दोनो सोफे पे आमने सामने बैठे थे,,,रणविजय जी ने उसे सारी बाते बता दी थी,,,,जिसे सुन अरमान कुछ सोच में पर गया ,,,लेकिन थोरी देर की शांति के बाद अरमान अपनी चुप्पी तोडते हुए कहता है,,, दादू हम श्लोक का दिल नहीं दिखा सकते,,,,,लेकिन अगर उस लड़की के कारण मेरे भाई का दिल दुखा तो मैं उसके पूरे खानदान को बरबाद कर दूंगा,,,,अभी फिलहाल हम वैसा ही करते है जैसा श्लोक चाहता है,,, हमे एक बार उस लड़की के घर चलना चाइए बाकी का इंफॉर्मेशन मैं बाद में निकलवा लूंगा।।।।।।
Flashback end
तभी केबिन का डोर नोक हुआ,,,जिसके कारण अरमान प्रेजेंट में लौट आया और उसने अपने वही कोल्ड वाइस में कमिंग कहा,,,,तभी डोर खोल वीर आया और कुछ पेपर अरमान को दे मीटिंग की कुछ डिटेल थी और रूम से चला गया,,,,वीर अरमान के सारे मीटिंग का काम संभालता था,,,और अगर कभी अरमान मीटिंग में प्रेजेंट न हो पाता था तो वीर ही हैंडल करता था,,,,
वीर के जाते ही अरमान घड़ी में टाइम देखता है तो रात के 8 बज चुके थे,,,,तभी उसके केबिन का डोर फिर से नोक होता है,,, सायद उसे पता था की बाहर कोन होगा इसलिए वो थोड़ा टाइम ले अपने रूड आवाज में कमिंग बोलता है,,,
बाहर खड़ी जानवी परमिशन मिलते ही अपना सर झुका अंदर आती है और जो फाइल अपने साथ लाई थी वो अरमान के सामने डेस्क पे रख देती है और चुप चाप सर झुकाए ही खरे हो जाती है।।।।
अरमान एक नजर जानवी को देख फाइल खोल गुस्से से जोर जोर से पेज पलटने लगता है ,,,,और सामने खरी जानवी की सांसे रुकती जा रही थी जैसे जैसे वो पेज पलट रहा था,,,,
अरमान पेज पलटते पलटते लास्ट पेज तक आता है फिर जोर से फाइल बंद कर उसे उठा जानवी के तरफ फेंकता है और अपने गुस्से भरे आवाज में कहता है,,,,,,कल 4 मीटिंग है और आज रात तक टाइम है तुम्हारे पास सारी डिटेल मुझे कल सुबह तक मेरे डेस्क पे मिल जानी चाहिए।।।।जानवी फाइल को ठीक करते हुए बस अपना सर हिला देती है,,,,तभी अरमान अपने रोबीले आवाज में कहता है,,, वर्ड्स mrs raghuvansi वर्ड्स,,,,,,,
जानवी अपना सर ऊपर कर कहती है yes sir,,,, फिर अपना सर नीचे झुका लेती है,,,तभी अरमान हस्ते हुए एक तंज भरी आवाज में बोलता है,,,मेरे दादू को फसाने के लिए भी तो ऐसे ही मासूमियत का नाटक किया होगा ना,,,किया ही होगा,,,मैं भी तो पिछले एक साल से तुम्हे मासूम ही समझ रहा था,,,,तुम्हारा असली रंग तो मुझे अब पता चला है,,,फिर थोड़ा रुक कर अरमान जोर से चिल्लाते हुए कहता है,,,,अब यह खरे होके मेरा टाइम क्यू वेस्ट कर रही हो,,,जाओ और अपना सामान लेकर आओ,,,घर चलना है हमे,, क्युकी दादु का ऑर्डर है की मैं तुम्हे हमेशा अपने साथ ही घर लेकर आऊ तो उनकी बात तो मान नी ही होगी ना,,,इस टाइम उसके चेहरे पे एक अजीब मुस्कुराहट थी और जानवी के आंखो में आशु।।।।।
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