नेरैटर: रिया अपने खतरनाक फैसले के साथ नॉर्मल होने की कोशिश कर रही थी कि दरवाजे पर नजर पड़ती है और शॉक्ड हो जाती है।
सामने दो dangerous आदमी खड़े थे जो अपनी बड़ी- बड़ी सुर्ख लाल आँखों से रिया को ही देख रहे थे,
रिया उनको ignore करती आकाश के पीछे खिसक कर खड़ी हो गई।
छुपते छुपाते वो उन्ही को देख रही थी, वो दोनो धीरे से अंदर आए और हॉल में चारों तरफ घूमकर कोई निरीक्षण करते रहे।
रिया ने आँखें नीचे कर धीरे से आकाश से पूछा
रिया : ये लोग कौन है अब।
आकाश : समझ जाओगी जल्द ही।
रिया: आकाश मुझे यहाँ कुछ भी ठीक नही लग रहा।
आकाश : कम ऑन रिया, मै हूँ न, बस थोड़ा रुको तुम्हे अभी सबसे मिलवाता हूँ, यहाँ सब ठीक है और ये सब लोग हमे ही प्रोटेक्ट करने के लिए हैं।
रिया : but why? हम ऐसा क्या करने वाले हैं।
आकाश : सब समझ आ जाएगा अभी तुम इन सबसे मिल तो लो।
नेरैटर : आकाश बिल्कुल लापरवाही से रिया के डर को टालता है, और उसे विश्वास दिलाता है कुछ भी गलत नहीं होगा। रिया उन लोगों पर विश्वास नही कर पा रही थी। जबकि वो लोग अपने प्लान बताने में बिजी हो जाते हैं.. रिया ने भी अब तय कर लिया था कि जब कदम बढ़ाया है तो काम को अंजाम देकर ही रहेगी। आकाश के दोस्त अब उसी हॉल में अलग अलग जगह से उन्हे कुछ सीक्रेट रास्ते बताते हैं कि जरूरत पड़ने पर वो सभी उन्हे यूज कर सकें। इतने शानदार ढंग से अलग अलग रास्ते बने थे जैसे कोई बच्चों के गेम्स हों.. रिया अपने गले पड़ी मुसीबतों को एंजॉय करने लगी थी.. उन रास्तों को समझ कर निकलने के तरीके ही समझ रही थी कि उसकी नजर एक बड़ी सी खूबसूरत डॉल पर पड़ गई.. रिया उसे पास जाकर देखती है और हल्की स्माइल के साथ उसके हाथ में फंसे आर्टिफिशियल फ्लॉवर को निकाल लेती है। जैसे ही वो फूल हाथ से निकला आकाश के पास खड़े दोस्त के पॉकेट से अलार्म की आवाज आने लगी। उसने पॉकेट से रिमोट निकाला और आकाश के हाथ में थमा दिया। आकाश ने रिया को समझाया कि कोई भी चीज छूने से पहले पूछ ले।
आकाश : यह कोई नॉर्मल डॉल नही है ये चाबी है इस सीक्रेट दरवाजे की, हम जब यहाँ से निकलेंगे ये फूल इसके हाथ से निकाल कर बालों में फंसा देंगे और बालों में लगे इस ब्यूटीफुल रोज को निकाल कर इसके हाथ में दे देंगे और ये हमें रास्ता दे देगी।
नेरैटर : आकाश ने रिया को समझाते हुए दरवाजा खोल दिया। रिया को सीक्रेट्स देखने में खूब मजा आता था,
उसने आकाश के हाथ मे हाथ डालकर कहा…
रिया : और कुछ भी दिखाओ न आकाश यहाँ और क्या- क्या है।
आकाश : अब तुम आ गई हो न यहाँ तो यहाँ की हर चीज को जान जाओगी,
पर पूछकर ही किसी चीज को हाथ लगाना,,, ओके।
रिया : ओके, मिस्टर आकाश।
नेरैटर : एक के बाद एक खतरनाक रास्ते सीक्रेट के नाम पर खुल रहे थे और रिया बिना समझे आगे बढ़ रही थी। उसकी इन हरकतों से उसकी पर्सनल लाइफ पर क्या असर होगा या उसकी अपनी फैमिली में कितने प्रॉब्लम्स हो सकते वो सोचना ही नही चाहती थी..
यहाँ विक्रम ऑफिस से घर आए और हॉल में बैठे छोटे भाई राजेश को अनदेखा करते हुए सीधे रिया के रूम की ओर चले गए और रिया को रूम में न पाकर उदास मन से वापस आ गए विक्रम जानते थे रिया को उनकी वॉर्निंग से कोई असर नही हुआ होगा पर एक पिता का मन था जिसे उम्मीद थी शायद आज रिया वक्त पर आई हो। नीचे हॉल मे अभी भी राजेश अपनी पत्नी शालू के साथ बैठे थे.. विक्रम को नीचे आते देख शालू ने राजेश को कोहनी मारकर कोई इशारा किया। राजेश उठकर खड़ा हो गया और विक्रम के नीचे आते ही गरज पड़ा, “ कब तक आखिर रिया की हरकतों को इग्नोर करोगे भाई.. उसका behaviour, ड्रेसअप कुछ भी सही नही है.. वो क्या चाहती है उसे खुद
ही नही पता। जरा सा भी कुछ बोलो तो बवाल खड़ा करती है.. उसे सम्हालने का टाइम नही रहा भाई और न ही वो सम्भलना चाहती है। एक लिमिट होती है बद्तमीजी की और वो सारे लिमिट्स क्रॉस कर चुकी है।”
विक्रम : क्या कहना चाहते हो तुम।
नेरैटर : राजेश बोला , “ कहना चाहता नहीं , बल्कि कहने आया हूँ कि उसे घर से निकाल दो। वरना एक दिन हम सब उसकी बेवकूफियों के शिकार होंगे और तब कुछ भी ठीक नही हो पाएगा।”
राजेश की आँखों मे रिया के लिए नफरत छलक रही थी.. विक्रम बिना कुछ बोले एक झटके से जाकर सोफे पर बैठ गए.. पीछे सिर टिकाकर आँख बन्द कर एक गहरी सांस ही ली थी कि राजेश की आवाज फिर गूंजने लगी, “मैं या आप उसके दुश्मन नही है भाई पर वो हमेशा दुश्मन सा behave करती है। अभी तो खुद को बचाने लायक टाइम है पर और देर हुई तो ये लड़की सबको ले डूबेगी।
विक्रम : रिया बद्तमीज है मानता हूँ, पर कोई क्रिमिनल नही है जो उसे घर से निकालना पड़े.. मै बात करूँगा उससे, देखता हूँ कैसे नही सुधरती।
नेरैटर ; राजेश फिर कुछ कहना चाहता था और इस बार विक्रम ने रोक दिया… राजेश गुस्से में वहाँ से चला गया, उसी के पीछे उसकी पत्नी भी चुप- चाप निकल गई। विक्रम रिया के लिए अब और ज्यादा चिंतित हो गए थे.. दिमाग काम नही कर रहा था.. बेटी के लिए जो प्यार दिल में था शायद उनको जताना नही आया था और रिया ने कभी जानना भी नही चाहा।
उधर रिया अपने दोस्तों के साथ उस बिल्डिंग के सारे सीक्रेट रास्ते देख चुकी थी,.. और अब उसकी नजर उन दरारों पर थी जो वॉल पेपर की तरह लग रही थी.. उसने पास जाकर छूने के लिए हाथ बढ़ाया कि आकाश ने बीच मे ही उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया। फिर आकाश का इशारा पाकर एक लड़के ने आकर उस वाॅल पेपर मे बनी दरार से एक सुई जैसी कोई चीज खींची और एक छोटा सा वाॅल का टुकड़ा साइड खिसक गया। उसके अंदर एक प्यारा सा मंकी टॉय था जिसे देख रिया ने फिर उसे छूने की कोशिश की.. एक बार फिर आकाश ने उसे रोका …
आकाश : रिया प्लीज, ये बच्चों के खिलौने नहीं है, हमें इनको सीखना है पहले।
नेरैटर : रिया का बचपना देख उस लड़के ने हँसते हुए उस टॉय को घुमाया और धड़ धड़ की आवाज के साथ वहाँ एक पूरा दरवाजा खुल गया। रिया अंदर जाने के लिए एक्साइटेड हो रही थी आकाश उसे हाथ पकड़कर उस छोटे से दरवाजे से झुककर निकलते हुए अंदर ले जाता है। और वहाँ का नजारा देख बस दोनों हाथ मुँह पर रख कर अंदर से निकलने वाली चीख को रोक लेती है.. वो एक छोटा सा कमरा था जिसमें कितने ही हथियार और कैश रखे थे। रिया एक बार फिर किसी खतरे के अंदेशे से डरने लगी थी। पीछे पैर लेते हुए वो वहाँ से निकलने ही वाली थी कि हॉल से गोली चलने की आवाज आ गई और रिया ही क्या, वहाँ मौजूद आकाश और उसके सारे साथियों के चेहरे से हवाइयाँ उड़ गई। कुछ भी सोचते समझते तब तक पुलिस चारों तरफ से घेर चुकी थी। रिया यहाँ वहाँ आकाश को ढूँढती है पर आकाश अपनी जान बचाकर भाग निकला था.. रिया खुदको छिपाते हुए आकाश को ही ढूंढ रही थी, उसे कहीं न कहीं लग रहा था वो आएगा उसे यहाँ से निकालने.. पुलिस के लोग पूरी बिल्डिंग में चारों तरफ फैले हुए
थे.. रिया किसी सीक्रेट रास्ते तक भी नहीं पहुँच पा रही थी.. घबराहट और डर मे दिमाग काम नही कर रहा था.. जिसे जैसे लग रहा था निकल गए थे कुछ लोग पकड़े भी गए थे। रिया एक मेज के नीचे बैठी थी जिस पर कभी भी पुलिस की नजर पड़ सकती है.. लोगों के पैर ही रिया को दिख रहे थे और बचने के रास्ते न के समान थे। थोड़ा सा ही मौका पाकर रिया वहाँ से निकली, और सामने से पुलिस की नजर उस पर पड़ गई..
अपनी गन तानकर एक पुलिस अफसर चिल्लाया : “रुक जाओ, वरना मुझे गोली चलानी होगी।”
पुलिस अफसर को अनसुना कर वो बिना देर किए वहाँ से भाग कर उसी सीक्रेट रास्ते की ओर बढ़ गई। इससे पहले पुलिस वहाँ तक पहुंचती दरवाजा बंद हो गया। धांय धांय करके गोलियां चली और दरवाजा तोड़कर पुलिस के कुछ लोग अंदर घुसे पर रिया तब तक गायब हो चुकी थी। किसी तरह बिल्डिंग से बाहर निकली और चैन की सांस ही लेने वाली थी कि फिर जूतों की आवाज आई और रिया फिर उठकर भाग निकली…
उठते - गिरते किसी तरह एक बाइक के पास पहुंची झट से बाइक स्टार्ट की और तेज स्पीड में निकल गई, पीछे ही पुलिस की गाड़ी चल रही थी..पर वो आसानी से हार नही मानने वाली थी।
पुलिस को किसी तरह चकमा देकर वो एक झुग्गी बस्ती में घुस गई और बाइक वहीं छोड़कर दौड़ते हुए संकरी गलियों में छिपने जगह तलाशना शुरू कर यहाँ से वहाँ भागती रही।
पुलिस लगातार रिया के पीछे चल रही थी,
हमेशा रफ एंड टफ् रहने वाली रिया अब डरी डरी यहाँ वहाँ देख रही थी।
आँख में आँसू भी छलक रहे थे।
अपने दोस्त आकाश से मिले दगा से भी रिया टूट रही थी।
उसे बार -बार याद आ रहा था कि कैसे आकाश उसका हाथ छोड़कर अपनी जान बचाकर भाग गया जबकि उसे इस रास्ते पर लाने वाला वही था,
रोते हुए रिया अपने आप से कहती है
रिया : क्यों आकाश पर इतना ट्रस्ट था मुझे, जबकि वो इस लायक नही था।
नेरैटर : रिया को आज पहली बार घर याद आ रहा था। रात गहरा चुकी थी आज फिर रिया घर नही पहुँच सकी,
रात भर पुलिस की गश्त जारी थी और रिया किसी तरह खुद को छुपाए रखने में कामयाब रही।
चारों तरफ से चप्पा चप्पा देखने पर भी पुलिस को रिया नही मिली हताश होकर वहाँ से सब चले गए।
पुलिस जा चुकी है पूरी तरह कन्फर्म हो जाने के बाद रिया बाहर निकली और
पैदल ही किसी सुनसान सड़क पर भटकती हुई शहर से बाहर एक एकांत जगह पर आकर बैठ गई।
आकाश को याद करते हुए फिर गुस्से में एक लंबी चीख मार दी
रिया (गुस्से से चीखते): आका,,श,,,, "
नेरैटर ; आकाश के दगा ने रिया को तोड़कर रख दिया था,
अपने आस- पास किसी को भी न पाकर वो बहुत अकेला फील कर रही थी।
अपने आप पर रोना आ रहा था हर तरफ अंधेरा था।
इसी तरह गहरी सोच में डूबी रिया चली जा रही थी अकेली,
न रास्ते का पता था न ही ठिकाने का।
सुबह होने में दो घण्टे का वक्त बचा था मगर रिया की लाइफ एक गहरी क़ाली रात में बदलती जा रही थी।
चलते- चलते रुक कर जमीन पर घुटने के बल बैठ अपने दोनों हाथों से चेहरा छुपाकर घुटनों पर सिर रख बैठ गई और गुजरी हुई कुछ पुरानी यादों में खो गई,,, ।
रिया : आकाश,, wow क्या नाम है, मुझे आकाश ही तो चाहिए अपने पंख फैलाने आजाद उडान के लिए,
बताओ बनोगे क्या मेरे सपनो का आकाश?
आकाश : yes, मै तुम्हारे ही सपनों को उडान देने आया हूँ,
मै वही आकाश हूँ जो तुम्हे पंख फैलाकर उड़ना सिखाएगा।
नेरैटर ; रिया अतीत से आकाश की उस पहली मुलाकात को याद कर एक बार फिर रो देती है।
उसका हाथ थामना और हाथ छोड़ना उसकी आँखों के सामने बार - बार आ रहा था।
रिया एक पेड़ पर गर्दन टिकाकर बैठी थी और वहीं आँख लग गई।
लोग मॉर्निंग वॉक पर निकलने लगे थे..
तभी एक लड़का रिया के पास आया और उसे गौर से देखने लगा, जैसे पहचानता हो या पहचानने की कोशिश कर रहा हो।
लग रहा था कि मॉर्निग वॉक पर निकला होगा पर रिया को देख उसके पास आ गया और उसे जगाने ही वाला था कि रिया की आँख खुल गई,
एक सेकंड मे रात की सारी घटना उसकी आँख से गुजर गई,
और सामने वो अजनबी लड़का हँसते हुए उसे देख रहा था,
रिया वहाँ से जाना चाहती थी पर जैसे ही उठी बेहोश होकर वही उसी लड़के के पास जा गिरी,,,
कौन था वो लड़का जो रिया को देख कर हँस रहा था?? क्या वो रिया को पहले से जानता था?? आकाश का क्या
No reviews available for this chapter.